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________________ कतिपय विशिष्ट साहित्यिक शब्द सूचना-शब्दोंके आगे दिये गये तीन अंकोंमेंसे प्रथम अंक सर्गका, दूसरा श्लोकका और तीसरा पृष्ठका सूचक है। अकुलीन = पृथिवीमें लीन नहीं अर्थात् आकाशमें अश्वतर = खच्चर ७१७८४८५ स्थित, नीच कुलमें उत्पन्न १५।१३।४८ अश्ववारक = घोडाका सवार अकृष्टपच्य = अनायास उत्पन्न होनेवाला अन्न अस्रधारा = खूनकी धारा ९।३३।१०७ १।९।२ अयस्कान्त = चुम्बक १२।२५।१४७ अक्ष = इन्द्रियाँ १४।४८।१७५ अभ्यरिदुर्ग = शत्रुके दुर्गके संमुख ३१७३।४२ अत्युन्नत = बहुत ऊँचे, अत्यन्त उदार १७।११।२२९ अशनिघोरनाद = वज्रके समान भयंकर अतिदुर्मुख = अत्यन्त तेज ७७९।८५ शब्द करनेवाला । ६।२४।६७ अध्वगचूतग = मार्गस्थित आम्रवृक्ष पर बैठा हुआ अरातिकमलालया = शत्रुओंकी लक्ष्मी ५।५५।५५ २०६१।२१ अरविन्दबान्धव = सूर्य २।२४।१६ अनवग्रह = वर्षाके प्रतिबन्धसे रहित १।९।२ असुकरतर = अत्यन्त कठिन १६।४५।२२४ अनात्मनीन = आत्माके लिए अहितकारी ६।५८।७२ असितवलिभुजं = काले कौए ॥ ११।१६।१३४ अनुशय = पश्चात्ताप ८।९।९० अहीनवपु = शेषनागका शरीर उत्कृष्ट शरीर अन्तरेण ( अव्यय ) = बिना २।१९।१५ १७।१५।२३० अन्यपुष्ट = कोयल ३।२६।३६ अष्टार्ध = चार अपशब्द = खोटेशब्द १।६।२ १५।६।१७६ अपवर्ग = मोक्ष ११।४५।१३८ आङ्गो = शरीरसम्बन्धी ३।१६।३५ अपाच्य = दक्षिण दिशामें स्थित १७२ आखण्डलचाप = इन्द्रधनुष ११३०१५ अभिख्या = नाम २१४४।१८ आजिधरा = युद्धकी भूमि ९७७।११३ अभिषङ्ग = दुःख १११३०।१३६ आजिरङ्ग = युद्धका मैदान ९।२५।१०५ अभ्रकष = गगनचुम्बी, अत्यन्त ऊँचे १२।३।१४३ आजिशौण्ड = रणमें शूर ९।६९।११२ आत्यन्तिकी= अन्तरहित-अविनाशी अभीष्टवाह = मनचाहे घोड़े २०६८।२१ ११११ अन्द = दर्पण ८१३६।९४ आदित्सा = ग्रहण करनेकी इच्छा १७४६७।२३९ अब्द = वर्ष १३।८१।१६७ आयतिनत = भविष्यमें नत होनेवाले ८१३८।९४ अमृतरश्मि = चन्द्रमा १७१८७।२४२ आधि = मानसिक पीडा १११५२।१३९ अमोघमुखी = त्रिपृष्ठ नारायणकी शक्तिका नाम आमुक्त = धृत ८1८३।१०१ ८1८७।१०२ आमभाजन = मिट्टीका कच्चा बर्तन ७।२७।७९ अरविन्दलया = लक्ष्मी ५।५०।५४ आयस = लोहनिर्मित पदार्थ ७।३६१८० अर्थापचय = धनहानि, वाच्य-अर्थकी हानि १।६।२ आशा = दिशाएँ, मनोरथ १७१५९।२३७ अवगाह = हण्डे ७१७६८५ आसन्दी = आरामकुर्सी १४।२६।१७१ अवरोधन = अन्तःपुर ७१८११८६ इन = सूर्य १३।४०।१५९ ४०
SR No.022642
Book TitleVardhaman Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Muni, Chunilal V Shah
PublisherChunilal V Shah
Publication Year1931
Total Pages514
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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