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________________ श्री राजेन्द्रगुणमञ्जरी । राणापुरेऽथ संघेन, कारिते जिनमन्दिरे । योsस्थापयच धर्मेश, सहाञ्जनप्रतिष्ठया ॥ ३६४ ॥ .९६ " १९५० की सालमें 'तालनपुर ' तीर्थ में श्रीगोड़ीपार्श्वनाथजीकी प्रतिष्ठा आपने कराई । १९६१ गाँव ' वाग' में हर्षभर पूज्यवर्धने श्रीविमलनाथजीकी साञ्जनशलाका प्रतिष्ठा कराई || ३६० ।। ३६१ || बाद शहर ' राजगढ़में ' खजानची चुन्नीलालजी ' के बनवाये हुए ' अष्टापदजी ' के नामसे प्रसिद्ध जिनमंदिरमें सानन्द महोत्सव के साथ अञ्जनशलाका सह २४ जिनेश्वरोंकी स्थापना की। इस उत्सव में सहर्ष धारानरेश, झाबुवानरेश, सरदापुर छावनीके एजण्ट, भी आए थे ।। ३६२ ।। ३६३ || और राणापुर में श्रीसंघकी ओरसे निर्माति जिन - मंदिरमें साञ्जनशलाका श्रीधर्मनाथजीकी प्रतिष्ठा कराई || ३६४ ॥ जावरापत्तनेऽप्येत्य, लक्ष्मीचन्द्रजिनालये । शीतलेशप्रतिष्ठां सो-करोन्निर्मलचेतसा ॥ ३६५ ॥ ग्रामे रङ्गपुराख्ये च, झाबुवाराज्यवर्तिनि । गुरुणा च महानन्दै - देशाई-रींगनोदयोः || ३६६ ॥ सरस्यां खाचरोदे च, मडावदा - कडोदयोः । श्रीटांडा-झाबुवा - रंभा - पुरकाणोदरेष्वपि ॥ ३६७ ।। पुरग्रामेष्वनेकेषु तेनैवं कारिता मुदा । सोद्धवैश्च महानन्दैः, प्रतिष्ठाः साञ्जना वराः ॥ ३६८||
SR No.022634
Book TitleRajendra Gun Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGulabvijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1939
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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