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________________ (११) अने पोते करेल मानतामां हमणा तु पोतेज पकडायो छे-तो हे छगल ! हवे शा माटे रोवे छे ? ३८ सर्वे यत्र विनेतारः सर्वे पंडितमानिनः । सर्वे महत्त्वमिच्छंति कुलं तच्चावसीदति ॥ ३९॥ भावार्थ-ज्या सर्व नेता थइ बेसे, ज्यां सर्वे पोताने पंडित माननार बने अने ज्यां बधा महत्त्वने इच्छे-तेओर्नु कुळ खरेखर ! सीदाय छे. ३९ सेवा श्ववृत्ति यैरुक्ता न तैः सम्यगुदीरितम् । स्वच्छंदचारी कुत्र श्वा विक्रीतासुः क सेवकः४० ___ भावार्थ सेवाने श्वानवृत्ति समान कहेनाराओए मोटी भूल करी छे. कारण के स्वेच्छाचारी श्वान क्या अने पोताना जीवितने वेचनार सेवक क्या ? ४० सीदंति संतो विलसंत्यसंतः पुत्रा नियंते जनकश्चिरायुः। परेषु मैत्री स्वजनेषु वैरं पश्यतु लोकाः कलिकौतुकानि । ४१॥ मावार्थ-अहो ! ज्यां संतजनो सीदाय छे अने दुर्जनो विलास करे छे, पुत्रो गुजरी जाय छे अने पिता
SR No.022632
Book TitleNiti Tattvadarsh Yane Vividh Shloak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavichandra Maharaj
PublisherRavji Khetsi
Publication Year1917
Total Pages500
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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