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पासे कोण प्रार्थना करवा जाय छे ? कारण के परनुं हित करवामां साधु जनो ( सज्जनो ) स्वभावथीज सदा तत्पर थयेला जोवामां आवे छे. ६४
क्षुद्राः संति सहस्रशः स्वभरणव्यापारमात्रोद्यताः स्वार्थी यस्य परार्थ एव स पुमानेकः सतामग्रणीः । दुष्पूरोदरपूरणाय पिबति स्रोतः पतिं वाडवो जीमूतस्तु निदाघपीडितजगत्संतापविच्छित्तये ॥ ६५ ॥
भावार्थ - मात्र पोताना उदरनुंज भरण पोषण कर नारा हजारो क्षुद्रजनो हशे, परंतु परमार्थनेज पोतानो स्वार्थ माननार एवा संतजनोमां अग्रेसर पुरुष तो कोइ एक विरलोज हशे जुओ, वडवानल पोताना दुष्पूरण उदरने पूरवा माटे सागरना जळनुं पान कर्या करे छे अने मेघ उनाळाथी पीडायेला जगतना संतापने दूर करवा पोते वृष्टि करे छे. ६५
क्षारो वारिनिधिः कलंककलुषश्चंदो रविस्तापकृत पर्जन्यश्चपलाश्रयोऽभ्रपटलादृश्यः सुव