________________
नावार्थ- जेना मस्तक उपर केतकीना पुष्पनो मुगट करेलो बे एवा श्री पार्श्वनाथ प्रजुनी प्रतिमानुं पासेनी नीलमणिनी दीवालमां प्रतिबिंब पड़े बे, ते जोइ, गाममानी स्त्रीओ, प्रसादीनुं पुष्प लेवाने माटे पोताना हाथ नाखे, आम करती ते स्त्रीओ कोने दास्य नयी करावती ? २७
विशेषार्थ:- श्लोकमां चांतिमान् अलंकार दर्शावी ए चैत्यनी समृद्धि वर्णवेली बे. ते चैत्यमां केतकीना पुष्पना मुगटवाळी श्री पार्श्वनाथ प्रतुनी प्रतिमा तेनुं प्रतिबिंब नीलमणिनी दीवाल उपर पमे छे, ते जो दर्शन तथा पूजन करवा आवेली गाममानी स्त्रीओ जुलथी प्रजुनी प्रसादीनुं पुष्प लेवाने हाथ नाखे बे, ते हाथ दीवाल उपर अथमाय बे, ते जोइ दरेक जोनार माणसने हसवं आवे छे. २७