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इंड अहिं रहे छे, माटे राजाओना राजा रूप एवा मारे मारा घरमां लक्ष्मी राखवी योग्य नथी” आq विचारी योग्यताथी पूजवा योग्य एवा त्रण नुवनना लोकोनो मुगटमणि रूप कुबेरे जंचा तेजवाला एवा जे चैत्यनी अंदर कलशना मिषयी पोताना निधिोनी स्थापण मुकेली . ४४
विशेषार्थ-जेम को मोटा राजाना राज्यमा रहेनारो घणों धनाढ्य माणस पोतानी लक्ष्मीनी थापण बीजाने त्यां मुके , तेम कुबेरे पोताना नव निधाननी थापण आ कुमारविहार चैत्यमां मुकेली . कुबेरे विचार कयों के, “ समर्थ एवा देवताना राजाना राज्यमा रहीने मारे मारा घरनी अंदर मारी अतुल लक्ष्मी राखवी न जोइए.” आq विचारी तेणे पोतानी लक्ष्मीना निधान चैत्यमां आवेता सुवर्ण काशनां मिषयी मुकेला . कहेवानो आशय एवो छ के, ए कलशनी महान् समृद्धिथी कुमारविहार चैत्य घj