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________________ उववाई सूत्र ॥ २ ॥ ॥४ ॥ (अन्तिम बावीस गाथाएँ) केहि पडिहया सिद्धा ? कहिं सिद्धा पइट्ठिया ? । केहि बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिज्झइ ॥१॥ अलोरो पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्ठिया। इहसे 'दि चइत्ता , तत्थ गंतूण सिज्झइ जाणं तु इह भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि । आसी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स ॥३॥ दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज संठा। ततो तिभागहीणं सिद्धाणेगाहणा भणिया तिणि सया तेत्तीसा धणुत्तिभागो य होइ बोधव्वा । एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया चत्तारि य रयणीओ रयपितिभागूणिया य बोधव्वा । एसा खलु सिद्धा मज्झिमोगाहणा भणिया ॥६॥ एक्का य होइ रयणी साहिया अंगुलाइ अट्ठ भवे । एसा खलु सिद्धाणं जहरणोगाहणा भणिया ॥७॥ ओगाहणाए सिद्धा भवतिभागेण होइ परिहीणा। संठाणमणित्थथं जरामरण विप्पमुक्काणं जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ प्रांता भवक्खयविमुक्का। अरणोएणसमोगाढा पुट्ठा सव्वे य लोगंते
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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