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________________ जीवन-श्रेयस्कर - पाठमाला अम्मय कालम्मि पच्चुत्पन्नमा गए । जत्थ संका भवे जं तु एवमेयं ति नो वए ॥ ६ ॥ अमिय काल पच्चुप्पन्न मला गए । निस्संकियं भवे जं तु एवमेयं ति निद्दिसे ॥ १० ॥ तव फरुसा भासा गुरुभूवघाइणी । सच्चा विसान बत्तव्वा जत्रो पावस्स आगमो ॥ ११ ॥ तव का कारने त्ति पंडगं पंडगे त्ति वा । वाहिये वा वि रोगि प्ति तेणं चोरे त्ति नो वए ।। १२ ।। एएलने श्रट्टे परा जेणुवहम्मद । श्राधारभावदोसन्नू न तं भासेज्ज पन्नवं ॥ १३ ॥ तव होले गोले त्ति सारो वा वसुले त्तिय । दमए दूहए वा विन तं भासेज पनवं ॥ १४ ॥ अजिए पजिए वा वि अम्मा माउसिए त्ति य । पिउसिए भाइज ति धुए नत्तुणिए त्ति य ॥ १५ ॥ हले हले ति श्रन्ने त्ति भट्टे सामिणि गोमिणि । होले गोले वसुले त्ति इत्थियं नेयमालवे ॥ १६ ॥ नामजेण णं बूया इत्थीगोत्तेण वा पुणे । जहारिहम भिज्भि श्रालवेज लवेज वा ॥ १७ ॥ नए पजए वा वि बप्पो चुल्लपिउत्तिय । साउ भाइरोज ति पुत्ते नचुणिय त्तिय ॥ १८ ॥ हे हो हले त्ति अन्ने त्ति भट्टे सामिय गोमिय । होल गोल वसुले त्ति पुरिसं नैवमालवे ॥ १६ ॥ नामधेयां बूया पुरिसगोत्तेण वा पुणे । जहारिहमभिगिज्झ श्रालवेज लवेज वा ॥ २० ॥ १. ने बं ३२ अज्झयण ७
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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