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________________ २५०] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला वेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेणय ।। १६ सोलमं मासं चोत्तीसइमं चोत्तीसइमेणं तवोकम्मेणं दियट्ठाणुक्कडुए सूराभिमुहे अायावणभूमिए अायावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेणय ॥ ११ ॥ तए णं से जालि अणगारे गुणरयणं संवच्छरं तवोकम्म श्राहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं समकाएणं फासित्ता पालित्ता सोहित्ता तिरित्ता किट्टित्ता आणाए आगहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद २त्ता समरणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ वंदइत्ता नमंस इत्ता वहूहिं च उत्थछट्ट अट्ठमदसमदुवाल से हिं मासेहिं अद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पारणं भावेमाणे विहर इ ॥ १२॥ तए रणं से जाली अणगारे तेणं उरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं एवं जा चेव जहा खंदगस्स वत्तव्यया सा चेव चिन्तणा, पापुच्छणा थेरेहिं सद्धिं विपुलं तहेव दुरूहति, गवरं सोलस वासाइं सामरणपरियागं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उड्ढे चंदिमसोहम्मीसा। जाव आरणच्चुए कप्पे नव य गेवेज्जे विमाणपत्थडे उड्ढं दूरं वीतीवतित्ता विजयविमाणे देवत्ताए उववरणे ।। १३ ॥ तए णं ते थेरा भगवंतो जालिं अणगारं कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउसग्गं करेंति, पत्तचीवराई गिराहंति तहेव उत्तरंति जाव इमे से अायारभंडए ॥१४॥ भंतेत्ति ! भगवं गोयमे जाव एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपियाणं अंतेवासी जाली नाम अणगारे पगइभद्दए, से णं
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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