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________________ २४४] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला भावमभावा हेऊमहेऊ कारणमकारणे चेव । जीवाजीवा भवियमभविया सिद्धा असिद्धा य ॥ ३८॥ इच्चइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणता जीवा आणाए विगहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियटिसु । इच्चइयं दुवालसंग गणिपिडगं पडुपरणकाले परित्ता जीवा आणाए विराहित्ता च उतं संसारकंतारं अणुपरियहति । इच्चइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काणे अशंता जीवा आणाए विराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिस्संति । इच्चइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा प्राणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइंसु । इश्वयं दुवालसंगं गणिपिडगं पडुप्पएणकाले परित्ता जीवा आणाए बाराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयंति । इच्चइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकतारं वीईवइस्संति । ___इच्चइयं दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च, भवइ य,भविस्सइ य, धुवे, नियए, सासए, अक्खए अव्वए, अवट्टिए, निच्चे । से जहानामए पंचत्थिकाए न कयाइ नासीन कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ. भुविंच,भवइ य,भविस्ताइ य, धुवे, नियए सालए, अक्खए, अचए, अवट्टिए, निच्चे, एवामेव दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च, भवइ य, भविस्सइ य, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अवए, अवट्टिए, निच्चे । से समासो चउविहे पण्णत्ते, तंजहा-दवो खिस्तो,
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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