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• श्रीनन्दीसूत्र]
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यात्रो, दसारगंडियानो, बलदेवगंडियानो, वासुदेवगंडियाओ गणधरगंडियाओ, भद्दबाहुगंडियाओ, तवोकम्मगंडियाओ, हरिवंसगंडियाओ, उस्सप्पिणीगंडियाओ, ओसप्पिणीगंडि-- यात्रो, चित्तरगंडियाओ, अमरनरतिरियनिरयगइगमरण विविहपरियट्टणेसु एवमाइयाओ गंडियागो आविज्जति पगणविज्जति से तं गंडियाणुओगे, से वे अणुअोगे ४॥
से किं तं चूलियाो ? आइल्लाणं चउराहं पुव्वाणं चूलिया, सेसाई पुवाई अचूलियाई, से तं यूलियाओ।
दिट्टिवायस्स परित्ता वायणा, संखजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेमा सिलोगा संखेजाओ पडिवत्तीयसंलि. जानो निज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, से गं अंगट्टयाए वारसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, चोहस पुव्वाई, संखेजा वत्थू, संखेजा चूलपत्थू, संखेजा पाहुडा, संखेजापाहुउपाहुडा, संखेजाओ पाहुडियाओ, संखेजाओ पाहुडपाहुडियाओ, संखेजाई पयसहस्साई पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अयंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा अता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपत्नत्ता भावा आघविज्जति, परणविजंति, परूविज्जति दसिज्जति, निदंसिज्जति, उपदंसिज्जति । से एवं आया, एवं नाया एवं विराणाया, एवं चरणकरण परूषणा आघविज्जति, से तं दिट्ठिवाए १२ ।। सू० ।। ५७ ॥ __ इच्चइयंमि दुवालसंगे गणिपिडगे अणंता भावा अशंता अभावा, अांता हेऊ, अशंता अहेऊ, अणंता कारणा, अणंता अकारणा, अता जीवा, अांता अजीवा अणंता भवसिद्धिया अयंता अभवसिद्धिया अता सिद्धा, अपांता असिद्धा पराणत्ता