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________________ १९८] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला सागरा साहिया दुन्नि, उक्कोसेण वियाहिया। ईसाणम्मि जहन्नेणं, साहियं पलिअोवमं ॥२२२॥ सागराणि य सत्तेव, उक्कोसेण ठिई भवे । सणंकुमारे जहन्नेणं, दुन्नि उ सागरोवमा ॥२२३।। साहिया सागरा सत्त, उक्कोसेणं ठिई भवे । माहिन्दम्मि जहन्ोणं, साहिया दुन्नि सागरा ॥२२४॥ दस चेव सागगई, उक्कोसेण ठिई भवे । बम्भलोए जहणं सत्त ऊ सागरोवमा ॥२२५।। चउदलसागराइं, उक्कोसे ण ठई भवे । लन्तगम्मि जहन्नेणं, दस उ सागरोवमा ॥२२६॥ सत्तरससागराइं, उक्कोसेण ठिई भवे । महासुक्के जहनेणं, चोद्दस सागरोवमा ॥२७॥ अट्ठारस सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे । सहस्सारम्मि जहणं, सत्तरस सागरोवमा ॥२२८।। सागरा अउणवीसं तु, उक्कोसेण ठिई भवे । प्राणयम्मि जहन्मेणं, अट्ठ रस सागरोवमा ।।२२९॥ वीसं तु सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे । पाणयम्पि जहणं, सागरा अउणवीसई ॥२३०॥ सागरा इक्कवीसं तु, उक्कोसेण ठिई भवे । भारणम्मि जहन्मेणं, वीसई सागरोवमा ॥२३॥ बावीसं सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे । अच्चुयम्मि जहन्नेण, सागरा इकवीसई ॥२३२।। तेवीससागराई, उक्कोसेण ठिई भवे । पढ मम्मि जहन्नेण, बावीसं सागरोवा ॥२३३॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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