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________________ १६२] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला . पंकामा धूमाभा, तमा तमतमा तहा। इइ नेरइया एए, सत्तहा परिकित्तिया ॥१५८।। लोगस्स एगदेस मिल, ते सव्वे उ वियाहिया । एत्तो कालविभागं तु, वोच्छ तेसिं च उविहं ॥१५॥ संतई पप्पाऽणाईया, अपज्जवसियावि य। .. टिइं पडुच्च साइया, सपजव सियावि य ॥१६० । सागरोवममेगं तु उक्कोसेण वियाहिया । पढमाए जहन्नेणं, दसवाससहस्सिया ॥१६॥ तिराणेव सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया । दोच्चाए जहन्न, एगं तु सागरोवमं ॥१६२।। सत्तेव सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया । नइयाए जहन्नणं, तिराणेव सागरोवमा ॥१६३।। दस सागरोवमा ऊ, उक्कोसेण विवाहिया । चउत्थीए जहन्ने. सत्तेव सागरोवमा ॥१६४॥ सत्तरस सागरा ऊ, उक्कोलेण वियाहिया। पंचमाए जहन्ने, दस वेव सागरोवमा ॥१६५।। बावीस सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया। छट्ठीए जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमा ।।१६६॥ तेत्तीस सागरा ऊ, उक्कोसेण वियाहिया । सत्तमाए जहन्नशां, बावीसं सागरोवमा ।।१६७॥ जा चेव य पाउठिई, नेरइया वियाहिया। सा तेसिं कायठिई, जहन्नुकोसिया भवे ।।१६८।। अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं । विजढम्पि सए काए, नेरइयाणं तु अन्तरं ॥१६॥ एएसिं वराणा यो चेव, गन्धो रसफासओ। - संठाणादेसरो वावि, विहाणाई सहस्ससो ॥१७०॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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