________________
१८४]
[ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला
अट्ठजोयणबाहल्ला, सा मज्झम्मि वियाहिया । परिहायन्ती चरिमन्ते, मच्छिगताउ तणुययरी ॥६॥ अज्जुणसुवरणगमई,
सा पुढवी निम्नला सहावेण । उत्ताणगच्छत्तगसंठिया य,
भणिया जिणवरेहिं ॥६॥ संखंककुंदसंकासा, पण्डुग निम्मला सुहा । सीयाए जोयणे तत्तो. लोयन्तो उ वियाहियो ॥६॥ जोयणस्स उ जो तत्थ, कोसो उपरिमो भवे । तस्स कोसस्स छन्भाए, सिद्धाणोगाहणा भवे ॥६३।। तत्थ सिद्धा महाभागा, लोगग्गमित्र पइट्ठिया । भवपवंचओ मुक्का, सिद्धिं वरगई गया ॥६॥ उस्सेहो जस्स जो होइ, भवम्मि चरिममित्र उ। तिभागहीणा तत्तो य, सिद्धाणोगाहणा भवे ॥६॥ एगण साईया, अपजवसियावि य । पुहत्तण श्रणाइया, अपजवसियावि य ।।६६।। अरूविणो जीवघणा, नाणदंसणसन्निया । अउल सुहं संपत्ता, उवमा जस्ल नत्थि उ ।।६७॥ लोगेगदेसे ते सत्रे, नाणदसणसन्निया। संसारपारनिस्थिराणा, सिद्धिं वरगई गया ॥६८। संसारत्था उ जे जीवा, दुविहा ते वियाहिया । तसा य थावरा चेव, थावरा तिविहा तहिं ॥६६॥ पुढवी आउजीवा य, तहेव य वणस्सई। इच्चेए थावग तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥७॥ दुविहा उ पुढवीजीवा, सुहमा बायरा तहा। पजत्तमपजत्ता, एवमेए दुहा पुणे ॥७१॥ ..