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________________ [ जीवन-श्रेयस्कर - पाठमाला १८२] फासओ मउए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ रसओ चेव, भइए संठाणोवि य ||३६|| फासओ गुरूए जे उ, भइए से उ वरणश्रो । गन्धओ रसओ चेव, भइए संठाणविओ य || ३७॥ फासओ लहुए जे उ, भइए से उ वराणओ । गन्धओ रसओ चैव, भइर संठाणवि य ||३८|| फासए सीए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ रसओ चैव भइए संठा ओवि य || ३६ || फासो उहए जे उ. भइए से उ वराणओ । गन्धग्रो रसओ चैव, भइए संठाणओवि य ||४०|| फासो निद्धए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धो रस चेव, भइए संठाणओविय ॥ ४१ ॥ फासत्रो लुक्खए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ रस चेव, भइए संठाणोवि य |२|| परिमण्डलसंठाणे, भइए से उवरण । गन्धश्रो रसओ चेव, भइए फासओवि य । ४३ || ठाणओ भवे वट्टे, भइए से उ वरणओ । गन्धो रसओ चेव, भइए फासोविय ॥ ४४ ॥ संठा भवे तसे, भइए से उ वरणओ । गन्धो रसश्रो चेव, भइए फालओवि य ||४५ || संठाय चउरंसे, भइए से उ वरणश्रो । गन्धको रस चेव, भइए फासोविय ॥४६॥ जे आययसंठाणे, भइए से उ वरण । गन्धओ रस चेव, भइए फासओवि य ॥४७॥ एसा जीवविभत्ती, समासे वियाहिया । छत्तो जीवविभक्ति, बुच्छामि श्रणुपुव्वसो ||४८||
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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