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[जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला
न सयं गिहाई कुबिजा, णेव अन्नेहिं कारए । गिहकम्प्रसमारम्भे, भूयाणं दिस्सए वहो ।८।। तसाणं थावराणं च, सुहुमाणं बादराण य । तम्हा गिहसमारम्भ, संजओ परिवजए ॥९॥ तहेव भत्तपाणेसु, पयणे पयावणेसु य । पाणभूयदयट्टाए, न पए न पयावए ॥१०॥ जलधननिस्सिया जीवा, पुढवीकट्टनिस्सिया । हम्मन्ति भत्तपाणे मु, तम्हा भिक्खू न पयावए ॥११॥ विप्लप्पे सम्बो धारे, वहुपाणि विणासणे । नत्थि जोइसमे सत्थे, तम्हा जोई न दीवए ॥१२॥ हिरराणां जायरूवं च, मणसा वि न पत्थए । समले ठुकंचणे भिक्खू , विरए कयविक्कए ॥१३॥ किणन्तो कइओ होइ, विक्किणन्तो य वाणिओ। कयविक्कयम्मि वट्टन्तो, भिकवू न भवइ तारिसो ॥१४॥ भिक्खियव्वं न केयव्वं, भिक्खुणा भिक्खवत्तिणा । कयविकओ महादोसो, भिक्खावित्ती सुहावहा ॥१५॥ समुयाणं उछमेसिज्जा, जहासुत्तमणिन्दियं । लाभालाभरिम संतुट्टे, पिण्डवायं चरे मुणी ।।१६।। अलोले न रसे गिद्धे, जिब्भादन्ते अमुच्छिए । न रसट्टाए | जजा, जवणट्ठाए महामुणी ॥१७॥ अच्च रयणं चेव, वन्द पूयणं तहा । इड्डीसकारसम्माणं, मणसा वि न पत्थए ॥१८॥ सुकमाणं झियाएजा, अणियाणे अकिंचणे । वोसट्टकाए विहरेजा, जाव कालस्स पजत्रो ॥१९।।