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________________ १४८] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला सो तवो दुविहो वुत्तो, बाहिरब्भन्तरो तहा । बाहिरो छविहो वुत्तो, एवमन्भन्तरो तवो ॥७॥ अणसणमूणोयरिया, भिक्खायरिया य रसपरिच्चायो । कायकिलेसो संलीणया य बज्झो तवो होइ ।८।। इत्तरियमरणकाला य, अणसणा दुविहा भवे । इत्तरिया सावकंखा, निरवकंखा उ विजिया ॥ll जो सो इत्तरियतवो, सो समारोण छविहो। सेढितवो पयरतवो, घणा य तह होइ वग्गो य ।।१०।। तत्तो य वग्गवग्गो, पंचमा छट्टो पइराणतयो । मणइच्छियचित्तत्थो, नायवो होइ इत्तरियो ॥११।। जा सा अणसणा मरणे, दुविहा सा वियाहिया । सवियारमवियारा, कायचिटुं पई भवे ।।१२।। अहवा सपरिकम्मा, अपरिकम्मा य आहिया । नीहारिमनीहारी, आहारच्छेओ दोसु वि ॥१३॥ प्रोमोयरणं पंचहा, समासेण वियाहिये । दव्वश्रो खेत्तकालेण, भावेणं पजवेहि य ॥१४॥ जो जस्स उ आहारो, तत्तो ओमं तु जो करे । जहन्नेणेगसित्थाई, एवं दव्वेण ऊ भवे ॥१५।। गामे नगरे तह रायहाणिनिगमे य आगरे पल्ली। खेडे कब्बडदोणमुहगट्टणम डम्बसंवाहे ॥१६॥ आसमपए विहारे, निवेसे समयघोसे य । थलिलेणाखन्धा, से संबद्धकोट्टे य ॥१७॥ वाडेसु य रत्थासु व, घरेसु वा एवमित्तियं खेत्तं । कप्पइ उ एवमाई, एवं खेत्तेण ऊ भवे ॥१८॥ पेडा य अद्धपेडा, गोमुत्तिपयंगवीहिया चेव । सम्बुक्कावट्टाययगन्तुंपञ्चागया छट्ठा ॥१६॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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