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[जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला
से फासबले य हायई,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥२५॥ परिजूरइ ते सरीरयं.
. केसा पण्डुरया हवंति ते । से सव्वबले य हायई, . समय गोयम ! मा पमायए ॥२६॥ अरई गण्डं विसूइया,
श्रायंका विविहा फुसंति ते । विहडइ विद्धंसइ ते सरीरयं,
समय गायम ! मा पमायए ॥२७।। वोच्छिन्द सिणेहमप्पणी, .. कुमुयं सारइयं व पाणियं । से सव्वसिणेहवजिए,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥२८॥ चिचाण धरणं च भारियं,
पव्वइओ हि सि अणगारियं । मा वन्तं पुणो वि आइए,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥२९॥ अवउझिय मित्तबन्धवं,
विउल चेव धणोहसंचयं । मा तं बिइयं गवेसए, . समयं गोयम ! मा पमायए ॥३०॥ न हु जिणे अज दिस्सई, - बहुमए दिस्सइ मग्गदेसिए । संपइ नेयाउए पहे,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥३१॥