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श्रीउत्तराध्ययनसूत्र]
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लखूण वि उत्तम सुई,
___ सद्दहणा पुणरावि दुलहा । मिच्छत्तनिसेवए जणे,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥१६॥ धम्मं पि हु सद्दहन्तया,
दुल्लहया कारण फासया। इह कामगुणेहि मुच्छिया,
समयं गायम ! मा पमायए ॥२०॥ परिजूरइ ते सरीरयं,
केसा पण्डुरया हवंति ते । से सोयबले य हायई,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥२१॥ परिजरह ते सरीरयं,
केसा पण्डुरया हवंति ते । से चक्खुबले य हायई,
समयं गायम ! मा पमायए ॥२२॥ परिजूरइ ते सरीरयं,
- केसा पण्डुरया हवंसि ते । से घाणबले य हायई,
समयं गोयम ! मा पमायए ॥२३॥ परिजूरइ ते सरीरय,
___ केसा पण्डुरया हवंति ते । से जिब्भवले य हायई,
समयं गायम ! मा पमायए ॥२४॥ परिजूरइ ते सरीरयं,
केसा पगडुरया हवंति ते ।