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________________ [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला - कालं संखिजसनियं, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१२॥ पंचिंदियकायमइगो, उकोसं जीवो उ संबसे। लत्तटुभवगहणे, समयं गोयम! मा पमायए ॥१३॥ देवे नेरइए य अइगो , उक्कोसं जीवो उ संवसे । इक्केवभवगहणे, समयं गोयम ! मा पमायए ।।१४।। एवं भवसंसारे, संसरई सुहासुहेहि कम्मे हिं । जीवो पमायबहुलो, समय गोयम ! मा पमायए ॥१५॥ लण वि माणुसत्तणं, आरिअत्तं पुणरावि दुल्लहं । बहवे दसुया मिलक्खुया, समयं गोयम ! मा पमायए ।।१६।। लक्ष्ण वि पारियत्तणं, - अहीणपंचेंदियया हु दुल्लहा । विगलिंदियया हु दीसई, समयं गोयम! मा पमायए ॥१७॥ अहीणपंचेंदियत्तं पि से लहे, उत्तमधम्मसुई हु दुल्लहा । कुतित्थिनिसेवए जणे, समयं गोयम ! मा पमायए ॥१८।।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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