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________________ ४] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला एवं करेंति संबुद्धा, पण्डिया पवियक्खणा। विणियति भोगेसु, जहा से नमी रायरिसि ॥६॥ त्ति बेमि ॥ नमिपव्वज्जा समत्ता ॥ ॥ अह दुमपत्तय दसम अज्झयण ॥ दुमपत्तए पंडुरए हा, निवडइ राइगणाण अञ्चए । एवं मणुयाण जीवियं, समय गोयम ! मा पमायए ।।१॥ कुसग्गे जह ओसबिन्दुए, थोवं चिट्टइ लम्बमाणए । एवं मणुयाण जीविय, समयं गोयम ! मा पमायए ॥२॥ इह इत्तरियम्मि अाउए, जीवियए बहुपञ्चवायए । विहुणाहि रयं पुरे कडं, समयं गायम ! मा पमायए ॥३॥ दुल्लहे खलु माणुसे भवे, चिरकालेण वि सव्वपाणिणं। गाढा य विवाग कम्मुणो, समय गोयम ! मा पमयए ॥४॥ पुढ विकायमइगओ, उक्कोमं जीवो उ संवसे । कालं............ 'संखाईय समयं गोयप ! मा पमायए ॥५॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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