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________________ ३६] [जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला एयमटुं सपेहाए, पासे समियदसणे । छिन्द गिद्धिं सिणेहं च, न कंखे पुव्वसंथवं ॥४॥ गवासं मणिकुण्डलं, पसवो दासपोरुसं। सव्वमेयं चइत्ता काम रूवीभविस्ससि ॥५॥ (थावरं जंगम चेव धणं धन्न उवक्खरं । पञ्चमाणस्स कम्मेहिं नालं दुक्खाउ मोयणे।) अज्झत्थं सव्वओ सव्वं, दिस्स पाणे पियायए । न हणे पाणिणो पाणे, भयवेराओ उवरए ॥६॥ प्रादाणं नरयं दिस्स, नायएज तणामवि। दोगुञ्छी अप्पणो पाए, दिन्नं भुंजेज भोयणं ॥७॥ इहमेगे उ मन्नति, अपञ्चक्खाय पावगं । पायरियं विदित्ता णं, सव्वदुक्खा विमुच्चए ॥८॥ भयंता अकरेन्ता य, बन्धमोक्खपइण्णिणो। पायावीरियमेत्तेण, समासासेंति अप्पयं ।।६॥ न चित्ता तायए भासा, कुओ विजाणुसासणं । विसन्ना पावकम्मेहि, बाला पंडियमाणिणो ॥१०॥ जे केइ सरीरे सत्ता, वरणे रूवे य सव्वसो। मणसा कायवकेणं, सब्वे ते दुक्खसंभवा ॥११॥ भावना दीहमद्धाणं, संसारम्मि अतए । तम्हा सव्वदिसं पस्स, अप्पमत्तो परिव्वए ॥१२॥ बहिया उड्ढमादाय, नावकंखे कयाइ वि । पुवकम्मक्खयट्ठाए, इमं देहं समुद्धरे ॥१३।। 'विविश्च कम्मुणो हेडं, कालखी परिव्वए । माय पिंडस्स पाणस्स, कडं लभ्रूण भक्खए ॥१४॥ १. विगिंच ।
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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