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________________ [1.35 नायाधम्मकहाओ गच्छइ जाव संजमइ । तए णं से मेहे अणगारे जाए इरियासमिए अणगारवण्णओ भाणियन्वो । तए णं से मेहे अणगारे समणस्स ३ अंतिए तहारूवाणं थेराणं सामाइयमाइयाणि एकारस अंगाई अहिज्जइ २ बहूहिं छहमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं समणे ३ रायगिहाओ नयराओ गुणसिलयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ २ बहिया जणवयविहारं विहरइ। (35) तए णं से मेहे अणगारे अन्नया कयाइ समणं ३ वंदइ नमंसइ २ एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुनाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तए णं से मेहे अणगारे समणेणं ३ अब्भणुनाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोभेई तीरेइ किट्टेइ सम्मं कारणं फासेत्ता पालित्ता सोभित्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि समणं ३ वंदइ नमसइ २ एवं वयासी - इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुनाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । जहा पढमाए अभिलावो तहा दोच्चाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तरायंदियाए दोचं सत्तरायंदियाए तइँयं सत्तरायदियाए अहोरायंदियाए वि एगराइंदियाए वि । तए णं से मेहे अणगारे बारस भिक्खुपडिमाओ सम्मं कारणं फासेत्ता पालेत्ता सोभत्ता तीरेत्ता किट्टित्ता पुणरवि वंदइ नमसइ २ एवं वयासी - इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तए णं से मेहे अणगारे पढमं मासं चउत्थंचउत्थेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुंडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं अवाउडेणं । दोच्चं मासं छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे रत्तिं वीरासणेणं
SR No.022565
Book TitleNayadhamma Kahao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherN V Vaidya
Publication Year1940
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size20 MB
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