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________________ 161 -XV.110] नायाधम्मकहाओ तेसिं नंदिफलाणं दूरंदूरेणं परिहरमाणा २ अन्नोसं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमंति। तेसि णं आवाए नो भहए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा २ सुभरूवत्ताए ५ भुजो २ परिणमंति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ जाव पंचसु कामगुणेसु नो सज्जइ से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं ४ अञ्चणिज्जे परलोए नो आगच्छइ जाव वीईवइस्सइ । तत्थ णं अप्पेगइया पुरिसा धणस्स एयमद्वं नो सहहंति ३ धणस्स एयमढें असदहमाणा ३ जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागच्छंति २ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव वीसमंति तेसिं णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा जाव ववरोवेंति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा २ पव्वइए पंचसु कामगुणेसु सजइ जाव अणुपरियट्टिस्सइ जहा व ते पुरिसा । तए णं से धणे सगडीसागडं जोयावेइ २ जेणेव अहिच्छत्ता नयरी तेणेव उवागच्छइ २ अहिच्छत्ताए नयरीए बहिया अग्गुजाणे सत्थनिवेसं करेइ २ सगडीसागडं मोयावेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे महत्थं ३ रायारिहं पाहुडं गेण्हइ २ बहुपुरिसेहिं सद्धिं संपरिबुडे अहिच्छत्तं नयरिं मझमझेणं अणुप्पविसइ २ जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छइ २ करयल जाव वद्धावेइ २ तं महत्थं ३ पाहुडं उवणेइ । तए णं से कणगकेऊ राया हहतुढे धणस्स सत्थवाहस्स तं महत्थं जाव पडिच्छइ २ धणं सत्थवाहं सकारेइ सम्माणेइ २ उस्सुकं वियरइ २ पडिविसज्जेइ २ भंडविणिमयं करेइ २ पडिभंडं गेण्हइ २ सुहंसुहेणं जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ २ मित्तनाइअभिसमनागए विपुलाई माणुस्सगाई जाव विहरइ। तेणं कालेणं २ थेरागमणं धणे सत्थवाहे धम्मं सोचा जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता जाव पव्वइए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई बहूणि वासाणि जाव मासियाए जाव अनयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ। ___ एवं खलु जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं पन्नरसमस्स नायज्मयणस्स अयम पन्नत्ते तिबेमि। - - ॥पचरसम नायज्झयण समतं ॥१५॥ ..... २१ ----- -
SR No.022565
Book TitleNayadhamma Kahao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherN V Vaidya
Publication Year1940
Total Pages254
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size20 MB
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