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5 जिनभक्ति - गुञ्जन क
* रचयिता
परमपूज्य श्राचार्य श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी महाराज
* अरिहन्त - महिमा *
[१]
आराध्य
मेरे अरिहन्त प्रभु
1
अरिहन्त
श्रद्धास्पद
चरण - अनुरागी मैं । पावन नाम यही अरिहन्त भजे बड़भागी कितने पावन हैं ये अक्षर कितनी मनभावन है
"
महिमा |
मुनिजन
"
गणधर गुरुजन जपकर गाते हैं इसकी शुभ गरिमा || हूँ ज्ञानगिरा मतिहीन किन्तु, अरिहन्त भजे
मैं ।
श्राराध्य
मेरे
अरिहन्त - चरण
-
बड़भागी
अरिहन्त
अनुरागी
"
मैं ।
प्रभु,
मैं ॥
[ २ ]
मनसा वचसा अरु काया से
,
जब-जब भक्तों ने याद किया ।
,
दुःख दर्द मिटे सारे क्षण में ज्ञानामृत नित्य प्रसाद दिया || तव नाम की अरिहन्त भजे आराध्य मेरे
अरिहन्त - चरण
बड़भागी
अरिहन्त अनुरागी
महिमा गाता हूँ
,
1
प्रभु,
मैं ॥