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________________ अपरिग्रह की अवधारणा 325 कामना है। कामना उनकी होती है जिनसे हमें सुख-सुविधा का अनुभव होता है। आचारांग सूत्र में कहा गया है- 'कामेसु गिद्धा णिचयं करेंति' (आचारांग सूत्र, 1.3.2, सूत्र 113) जो काम-भोगों में गृद्ध या आसक्त हैं वे संचय करते हैं। संचय के दो प्रकार हैं- स्वर्णादि पदार्थों का संचय एवं कर्मों का संचय। कामनाओं के कारण ये दोनों प्रकार के संचय होते हैं। गृहस्थ की अपेक्षा वर्तमान में परिग्रह के स्वरूप को प्रतिपादित करते हुए कहा जाता है कि आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह करना ही परिग्रह है। आवश्यकता को परिभाषित करना दुष्कर कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता के मानदण्ड भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। यही कारण है कि अमेरिका में जो पदार्थ व्यक्ति की आवश्यकता के रूप में गिने जाते हैं, वे ही भारत में विलासिता के रूप में गिने जाते हैं। सारे अर्थशास्त्री मिलकर भी आवश्यकता के विषय में एकमत नहीं हो सकते हैं, क्योंकि आवश्यकता का क्षेत्र निरन्तर बढ़ता जा रहा है। अब अशन, वसन एवं निवास की आवश्यकता के अतिरिक्त भी अनेक इच्छाओं को आवश्यकता की परिधि में सम्मिलित किया जा रहा है। जो भी हो, इच्छाओं का कहीं भी परिमाण किया जाए, सीमांकन किया जाए तो भी परिग्रह-परिमाण के रूप में गृहस्थ कथंचित् अपरिग्रह के दायरे में आता है। परिग्रह-परिमाण व्रत परिग्रह को एक दोष मानकर उसकी अभिवृद्धि को रोकने के संकल्प एवं प्रयत्न को सूचित करता है। ___ 'न परिग्रहः इति अपरिग्रहः।' अपरिग्रह शब्द में नञ् समास है। नञ् का 'अ' शेष रहता है, जिसका संस्कृत भाषा में छह अर्थों में प्रयोग होता है- सादृश्य, अभाव, भिन्नता, अल्पता, अप्राशस्त्य और विरोध। इन अर्थों में से यहाँ आभ्यन्तर स्तर पर अभाव अर्थ में प्रयोग हुआ है, अतः अभाव अर्थ में अपरिग्रह का अर्थ होगा- परिग्रह का न होना। परिग्रह का सर्वथा अभाव ही अपरिग्रह है। बाह्य अपरिग्रह में अल्पता अर्थ का ग्रहण कर अल्प परिग्रह को भी अपरिग्रह कहा जा सकता है। प्रभु महावीर बाह्य एवं आभ्यन्तर दोनों प्रकार से परिग्रह-मुक्त थे। उनके साथ शरीर था, किन्तु उसका परिग्रह नहीं था, क्योंकि शरीर में उनकी आसक्ति नहीं
SR No.022522
Book TitleJain Dharm Darshan Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2015
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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