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कारण-कार्य सिद्धान्त एवं पंचकारण-समवाय
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41. न्यायसूत्र, अध्याय 4, सूत्र 22-24 42. वाक्यपदीय, वाक्यकाण्ड, कारिका, 149-150 43. तत्त्वसंग्रह, श्लोक 111-112 44. प्रश्नव्याकरण, मृषावाद प्रकरण, ज्ञानविमलसूरिटीका, शारदा मुद्रणालय, रतनपोल, ___अहमदाबाद, वि. संवत् 1993, अधर्मद्वारे, मृषावादिनः, सूत्र 7 45. (i) नन्दीसूत्र, मलयगिरिकृत, अवचूरि, पृ. 179 ___(ii) षड्दर्शनसमुच्चय, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, पृ. 19-20 पर भी उद्धृत। 46. द्रष्टव्य, शास्त्रवार्तासमुच्चय, स्तबक, 2, श्लोक 60 47. पूर्वपूर्वोपादानपरिणामानामेवोत्तरोतरोपादेयपरिणामहेतुत्वात् ।- शास्त्रवार्तासमुच्चय टीका,
स्तबक 2, श्लोक 60 48. द्वादशारनयचक्र, भाग 1, पृ. 223-224 49. द्रष्टव्य, सूत्रकृतांग, 1.1.1 के श्लोक 12 की टीका । 50. द्वादशारनयचक्र, भाग 1, पृ. 233 51. धर्मसंग्रहणि, गाथा 549-552 52. हरिवंशपुराण, 61.77 एवं 62.44 53. अभिज्ञानशाकुन्तलम्, 1.14 एवं द्रष्टव्य 6.9 से पूर्व गद्य । 54. हितोपदेश, संधि, श्लोक 10 55. नियतिकृतनियमरहितां - काव्यप्रकाश, उल्लास 1, श्लोक 1 56. योगवासिष्ठ, 3.62.27 57. नियतिः ममेदं कर्तव्यं नेदं कर्तव्यमिति नियमनहेतुः ।- परमार्थसार की भूमिका, पृ. 17 58. दीघनिकाय, प्रथम भाग (विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी 1998) सामञफलसुत्तं,
मक्खलिगोसालवाद का हिन्दी अभिप्राय । 59. द्रष्टव्य, सूत्रकृतांग, 2.1.665 60. सन्मतितर्क 3.53 पर अभयदेवकृत टीका । 61. तादृशी जायते बुद्धिर्व्यवसायश्च तादृशः।
सहायास्तादृशाः सन्ति यादृशी भवितव्यता ।।- अष्टशती में उद्धृत 62. एवमेयाणि जंपंता, बाला पंडिअमाणिणो।
निययानिययं संतं, अयाणंता अबुद्धिया ।।- सूत्रकृतांग 1.1.2.4. 63. सन्मतितर्क 3.53 पर अभयदेवकृत टीका