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________________ अश्व-घोड़े ने भी क्रोध के आवेश में कहा-"चपल शब्द का प्रयोग मेरे लिए चञ्चल अर्थ में किया है ? या अन्य कोई व्यंग्योक्ति से ?" उसी समय बैल भी गुस्से से भरकर बोला, "मुझे मूर्ख कहने का दुस्साहस इस बकरे ने कैसे किया ?" उस समय मात्र गधा आवेशित नहीं हुआ। उसने सहिष्णु स्वभाव वश बकरे के द्वारा 'असभ्य' कटूक्ति को सहन किया। किसी तरह का विरोध नहीं किया। इस पशुसभा का वातावरण प्रत्धधिक विक्रान्त कलुषित, कलहपूर्ण मानते हुए खरगोश ने उठकर कहा कि "प्रिय बन्धुनो! 'क्रोध, रोष एवं प्रावेश में यहाँ ईश्वरस्वरूप का निर्णय सम्भव नहीं।. गणपक्ष का अवलम्बन लेकर जो कुछ बकरे ने कहा वह तो सत्य ही है। निश्चितरूप से शेर एवं बाघ निर्दयतापूर्वक निरपराध पशुमों का वध करते हैं, तथा निर्ममतापूर्वक जगत्कर्तृत्व-मीमांसा-२२
SR No.022444
Book TitleVishva Kartutva Mimansa Evam Jagat Kartutva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Jinottamvijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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