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________________ तभी विश्व की व्यवस्था के कार्य करने में सक्षम होता है।" ___कुत्ते को उक्त बात सुनकर बकरे ने यथाशीघ्र उठकर कहना प्रारम्भ किया, "भगवान सिंह-व्याघ्र की तरह से असमोक्ष्यकारी (बिना सोचे कार्य करने वाला) हिंसक, कर नहीं है। हाथी की तरह अभिमानी भी नहीं । अश्व की तरह चपल (चंचल) भी नहीं, बैल की तरह मूर्ख भी नहीं, इवान-कुत्ते की तरह जानने वाला चिन्तातुर भी नहीं है। मैं इस सन्दर्भ में अन्य रहस्य उद्घाटित कर रहा हूँ।" इस प्रकार अपने अभिमत को प्रकाशित करने हेतु जैसे ही बकरा उद्यत हुआ तभी शेर एवं बाघ गर्जना करते हुए (गुर्राते हुए) बोले, "बकरे की ये मजाल ! यह मूर्ख भी क्या कोई वैचारिक स्थिति रखता है ? हमने संसार में क्या अत्याचार किया है ?" हाथी भी चिंघाड़ कर बोला, "मुझे अभिमानी कहने का इस बकरे ने साहस कैसे किया ? यह कौन होता है जो इस प्रकार बोलने का दुस्साहस करे ?" जगत्कर्तृत्व-मीमांसा-२१
SR No.022444
Book TitleVishva Kartutva Mimansa Evam Jagat Kartutva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri, Jinottamvijay
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1996
Total Pages116
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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