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जैसे कुत्ते और गीदड़ को यदि मांसलिप्त हड्डी मिली तो कुत्ता गाँव की ओर लेकर भागना चाहता है, गीदड़ जंगल की ओर ।" अपने-अपने नाम ग्रहरण पूर्वक प्राक्षेप होता सुनकर कुत्ते तथा गीदड़ ने उच्च स्वर में विरोध किया और कहा, 'इस सभा में व्यक्तिगत किसी पर आक्षेप नहीं होना चाहिए। जो गधे ने अभी-अभी प्रलाप किया है, अपशब्द कहे हैं, वह उसके बारे में क्षमा-याचना करे, अपने कर्कश वचनों को वापस ले ।'
गधा बोला, "मैंने कोई व्यक्तिगत आक्षेप के रूप में उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया। क्या हड्डी का टुकड़ा मिलने पर आप दोनों का प्रयास ऐसा नहीं होता जैसा कि लोकोक्ति द्वारा मैंने कहा है। छोटी सी बात सुनकर उग्रतापूर्वक धैर्यवृत्ति का त्याग करना समीचीन नहीं होता है। अतः मैं कहता हूँ-ईश्वर तो महान् सहनशील तथा मजबूत पीठवाला ही हो सकता है। वह मुझ से भी अधिक सहनशील होगा, क्योंकि वह सम्पूर्ण विश्व के अत्याचार एवं पापकर्मों को सहन करता है। यदि ऐसा न हो तो उसका जीवन ही संकटग्रस्त हो जाए। भगवान
जगत्कर्तृत्व-मीमांसा-१६