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सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता एवं सृष्टि-संचालक है। वह तेज गतिमान, कन्धे पर धूसरित केशराशिवान अवश्य होगा। एक स्थान से दूसरे स्थान पर तीव्रतमगति से जाने में वह समर्थ है। उसकी तीव्रगति का यत्किञ्चित् स्वरूपांश मेरी गति में परिलक्षित होता है।" ऐसा कहकर अश्वघोड़ा बैठ गया।
तत्पश्चात् ककुमान् (स्कन्ध पर बड़े डीलवाला थुबी) बैल खड़ा होकर कहने लगा, "पूर्व वक्ताओं ने जो मन्तव्य ईश्वर के सम्बन्ध में प्रस्तुत किये, उनमें किसी का मत प्रादर योग्य नहीं है, क्योंकि चराचर-रक्षक, सृष्टिकर्ता का केसरीवत् केशराशि से, व्याघ्रवत् पीले-काले चिह्नों से, हाथी के समान सूड से, अश्वकी तरह तेज गति से भला क्या प्रयोजन हो सकता है ? परमात्मा विश्वभरणपोषण-कर्ता, समस्त विश्व के भार का संवहन करने वाला हो, वह तो हृष्ट-पुष्ट, ककुमान (थुम्बीवाला) सौम्याकृति अवश्य होगा। जैसे मेरे शरीर में उस की भारोद्वहन शक्ति एवं ककुद (थुम्बी) स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है ।
पूर्व वक्ताओं के ईश्वर स्वरूप सम्बन्धी प्रस्तावों को सुनकर अतीव सरल गधा बोला, “यह तो वही बात हुई
जगत्कर्तृत्व-मीमांसा-१८