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अ उपसंहार*
- इस विश्व-जगत् या सृष्टि-संसार - का बनाने वाला न कोई ईश्वर-परमेश्वर है, न कोई प्रभु-परमात्मा है, न कोई देव-दानव है, तथा न कोई मनुष्य-तियंच है एवं न कोई ब्रह्मा-विष्णु-महेश (महादेव) है ।
यह विश्व भूतकाल में भी किसी प्राणो द्वारा बनाया हुमा नहीं है, वर्तमान काल में भी इसे कोई बनाने वाला नहीं है, तथा भविष्यकाल में भी कोई बनाने वाला नहीं होगा। इसलिए सर्वज्ञविभु भाषित 'जैनदर्शन' के त्रिकालज्ञानी श्री तीर्थंकर भगवन्तों ने तथा श्रुतकेवली गणधर महर्षियों आदि महापुरुषों ने अपने पूज्य आगमशास्त्रों में विश्व-कर्तृत्व सम्बन्धी जो तथ्य कहा है, वह सत्य, वास्तविक, त्रिकालाबाध्य यथार्थ स्वरूप है। यह पालम्बन लेकर मैंने जो इस 'विश्वकर्तृत्वमीमांसा' ग्रन्थ का आलेखन किया है, उसमें मुझसे ज्ञानपूर्वक या अज्ञानपूर्वक किसी प्रकार की स्खलना-भूल हुई हो तो मैं मन-वचन-काया से 'मिच्छामि दुक्कडं' देता हुआ विराम पाता हूँ और कहता हूँ कि 'विश्व-जगत्' अनादि अनंत ही है।