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करते हुए कर्ता ने लिखा है कि-'विश्व अनादि एवं अनंतकालीन हैं न इसका कोई कर्ता, न इसका कोई पालक, और न इसका कोई विनाशक है। युक्तिपूर्वक यही तथ्य इसमें सिद्ध किया गया है।
इन लघुकृतियों का सम्पादन कार्य परम पूज्य प्राचार्य म. सा. के विद्वान् शिष्यरत्न-लेखपटु-सुमधुरप्रवचनकार पूज्य पंन्यासप्रवर श्री जिनोतमविजयजी गरिणवर्य म. सा. ने अतिसुन्दर किया है। प्रस्तावना पण्डितप्रवर श्री शम्भुदयालजी पाण्डेय (एम.ए., बी.एड.) ने अतिरम्य लिखी है। ग्रन्थ के स्वच्छ, शुद्ध एवं निर्दोष प्रकाशन का कार्य डॉ. चेतनप्रकाशजी पाटनी की देखरेख में सम्पन्न
हुआ है।
परमपूज्य गुरुदेव प्राचार्य म. सा. के सदुपदेश से इस ग्रन्थ-प्रकाशन में द्रव्य-सहायक का लाभ लेने वाले सिरोहीनिवासी समाजरत्न श्री मनोजकुमार बाबूमलजी हरण की सत्प्रेरणा से श्री जैन श्वेताम्बर संघ, गांधी नगर बैंगलोर हैं।
इन सभी का हम हार्दिक आभार मानते हैं।