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• 'द्रव्य-शु-पयायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२मश' व्यायामा विसा पानी याही . 155 (३०) वैज्ञानिक संबंध
२३८१ संश्लेषित असद्भूत अशुद्ध व्यवहारनय देखिए (३१) व्याप्य-व्यापक संबंध
१८०३
नय (नवविध) व्यवहारनय (३२) श्रद्धा-श्रद्धेयभाव संबंध
८९७
(देवचन्द्रजी) (२) अशुद्ध व्यवहारनय (३३) संयोग संबंध
१९८५
(ii) असद्भूत अशुद्ध व्यवहारनय (३४) संयोग-संयोगिभाव संबंध
८९६ संसक्त
देखिए वर्त्य साधु (३५) संश्लेष-संश्लेषिभाव संबंध
८९६ संसर्ग अनित्यता
देखिए अनित्यता (३६) समवाय संबंध २५०-२५४,२८७, संसर्गअभाव देखिए अभाव १११९,१७७५-१७८०,१८१५,१८८६ संसार (त्रिविध)
२४०१-०२,२४१४ (३७) सादृश्य संबंध १९२०-१९२१),
| संसार नमस्कार देखिए नमस्कार (३८) सादृश्यअधिकरणत्व संबंध १९८५
संसारनाटक
देखिए भवनाटक (३९) सादृश्यअधिकरणत्वभिन्न संबंध १९८५
संसारसमापन्नजीव प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना (४०) स्व-स्वामिभाव संबंध ८८८,८९६,१८०३
संस्कार (४१) स्वजनकत्व संबंध
१९१० (४२) स्वनिरूपितविषयता संबंध १९११ ___ (१) भोगसंस्कार
२४३५ (४३) स्वप्रतिपादकत्व संबंध १९१० -१९११ |
(२) योगसंस्कार
२५२७ (४४) स्वभाव-स्वभाविभाव संबंध १८०७ | संस्कृत भाषा देखिए भाषा (४५) स्वशरीरजन्यत्व संबंध
८८७ | संस्कृति विकार देखिए । विकार संबंधगौरव देखिए दोष (दूषण) | सकल वृत्ति देखिए वृत्ति (अर्थगत) संयोग संबंध
देखिए संबंध
सकलादेश (दिगंबर) देखिए आदेश संयोग-संयोगिभाव संबंध देखिए संबंध सकलादेश (श्वेतांबर) देखिए आदेश संलीनता
सक्रियतर समुचित योग्यता देखिए योग्यता (१) आत्म संलीनता
२५३५ | सचित्त स्कन्ध पर्याय देखिए स्कन्ध पर्याय (२) इन्द्रिय संलीनता
२५३४ | सच्छिद्रमति देखिए मति (३) कषाय संलीनता
२५३५ सजातीय द्रव्यपर्याय देखिए पर्याय (नयचक्रादि (४) मन संलीनता
२५३५
परिभाषा) (१) द्रव्यपर्याय (५) शरीर संलीनता २५३४ | सजन (सुजन)
२३९६ संविग्न पाक्षिक २३३५-२३३९ | सत्कार्यवाद
देखिए वाद संविज्ञान चेतना देखिए चेतना (चैतन्य) |सत्ता द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (देवचंद्रजी(श्वेतांबरसम्मत)
___ सम्मत) (१) द्रव्यार्थिकनय संशय देखिए दोष (दूषण)
सत्ता सामान्य
देखिए सामान्य संश्लेष-संश्लेषिभाव संबंध देखिए संबंध संश्लेषित असद्भूत व्यवहारनय देखिए नय
| सत्ताग्राहक शुद्ध द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (नवविध)
(१) द्रव्यार्थिकनय (आध्यात्मिक) (२) व्यवहारनय ((II) असद्भूत व्यवहारनय
| सत्त्व-असत्त्व सप्तभङ्गी देखिए सप्तभङ्गी