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________________ 148 • ‘द्रव्य-गुण-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायामां वर्शवेला पछार्थोनी याही • विकार (१) गुण विकार ( देवसेन) (२) द्रव्य विकार (३) भाव विकार ( वार्ष्यायणि) (४) भाव विकार ( देवचंद्रजी) (५) संस्कृति विकार विक्षिप्त चित्त विक्षेप विक्षेप शक्ति विघ्नजय विचिकित्सा विजय (१) इन्द्रियविजय (२) मनोविजय देखिए देखिए देखिए विनिगमक अभाव विनियोग विपर्यय विपाक क्षमा विप्रुडौषधि लब्धि विभजन व्यवहारनय विभागन्यूनता २२२०,२२२३ | विभाज्यता अवच्छेदक विज्ञान विदेहदशा विद्याजन्म विधि - निषेध (आंतरिक ) विनाश ११६,२२२२-२२२३ देखिए देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) १०२३-१०२९ ११२८ | विभाव अर्थपर्याय देखिए पर्याय (आलापपद्धति ११२९ परिभाषा) (२) अर्थपर्याय २३५६ | विभाव गुणपर्याय देखिए पर्याय ( नयचक्रादि उपनय विजातीय असद्भूत व्यवहार देखिए (२) (B) असद्भूत व्यवहार ( प्रकारान्तर) विजातीय उपचरित असद्भूत व्यवहार देखिए उपनय (३) उपचरित असद्भूत व्यवहार विजातीय द्रव्यपर्याय देखिए पर्याय (नयचक्रादि परिभाषा) (१) द्रव्यपर्याय देखिए भेदज्ञान देखिए दशा चित्त परिभाषा) (२) गुण पर्याय दोष ( रत्नत्रयसंबंधी) विभाव गुणपर्याय देखिए पर्याय ( प्रवचनसारवृत्ति शक्ति (अर्थगत) परिभाषा) (२) गुणपर्याय आशय विभाव गुणव्यंजनपर्याय देखिए पर्याय विभाव दशा २५४० विभावद्रव्य व्यंजनपर्याय २५३९ ५२, २४६५ २५४७-४८ देखिए देखिए देखिए आशय देखिए दोष (दूषण) नाश दोष (दूषण ) देखिए दोष (दूषण) लब्धि (योगफल ) देखिए क्षमा देखिए देखिए नय ( नवविध ) व्यवहारनय (देवचन्द्रजी - अन्यविध) विभाव पर्याय विभाव पर्याय १९७-१९९,१०१८, विरुद्ध लक्षणा विरोध देखिए ( अन्य परिभाषा ) दशा देखिए पर्याय ( अन्य परिभाषा ) देखिए पर्याय (देवचन्द्रमत ) देखिए पर्याय (नियमसार + परमात्मप्रकाशवृत्ति) देखिए लक्षण विभाव लक्षण विभाव व्यंजनपर्याय देखिए पर्याय (आलापपद्धति परिभाषा ) (१) व्यंजनपर्याय विभाव स्वभाव देखिए स्वभाव (१) विशेष स्वभाव विरति लक्षण देखिए विरामप्रत्यय अभ्यास लक्षण २५४० देखिए लक्षणा ( सामान्यतः ) दोष (दूषण) दोष (दूषण ) देखिए विरोधउच्छेदप्रसंग देखिए वाद विशिष्टाद्वैतवाद देखिए | विशुद्ध द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (प्रकीर्णक) (३) द्रव्यार्थिक नय विशुद्ध द्रव्यास्तिकनय देखिए नय (अनुयोगद्वार वृत्तिकारसंमत) (१) द्रव्यास्तिकनय देखिए लब्धि विशुद्धि लब्धि
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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