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वर्ण्य साधु
146 . 'द्रव्य-गु-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२॥मश' व्यायाम विदा पर्थोनी याही . (५) विपुडौषधि लब्धि
२४५७
सम्मत) (१) द्रव्यार्थिकनय (६) सर्वौषधि लब्धि
२४५७| वक्तव्य स्वभाव देखिए स्वभाव (७) संभिन्नश्रोतो लब्धि
२४५७
___ (२) सामान्य स्वभाव लय
देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी) | वचन अनुष्ठान देखिए अनुष्ठान लिंग
| वचन क्षमा देखिए क्षमा (१) भावश्रावक लिंग
वचनगुप्ति देखिए गुप्ति (I) भावश्रावक लिंग क्रियागत २४४० | वचन पर्याय देखिए पर्याय (श्वेताम्बर)
(II) भावश्रावक लिंग भावगत २४४०-४१ / वचनानुष्ठान लक्षण देखिए लक्षण (२) भावसाधु लिंग २४५४-५५ वदतो व्याघात देखिए दोष (दूषण) (३) सम्यग्दृष्टि लिंग
२४२८-३०
| वरा प्रज्ञा देखिए ज्ञान (+उपयोग+बोध) लिपि (ब्राह्मी आदि)
२३६९-२३७३ लेखविधान
२३७० (१) अवसन्न
२३२३-२३२४ लेश्या
(२) अगीतार्थ
२३२३-२३२६ (१) कृष्ण लेश्या
८४९ (३) कुशील
२३२३-२३२६ (२) द्रव्य लेश्या
८४८-८५० (४) पार्श्वस्थ
२३२३-२३२५ (३) भाव लेश्या
८४८-८५०
(५) यथाछंद ९३३,२३२३-२३२४ लेश्याशुद्धि देखिए शुद्धि
(६) संसक्त
२३२३-२३२४ लोकपंक्ति
२४३४
" | वर्ण देखिए गुण प्रकार (१) विशेष गुण लोक प्रज्ञापना देखिए प्रज्ञापना
वर्त्तना
१४८३-१४८५,१५१५ लोकबाध देखिए दोष (रत्नत्रयसंबंधी)
| वर्तनाहेतुता देखिए गुण प्रकार (१) विशेष गुण लोकवासना देखिए वासना
| वर्तमान-अतीतत्व आरोप देखिए आरोप (+उपचार) लोकसंज्ञा देखिए संज्ञा
| वर्तमान-अतीतपर्याय आरोप देखिए आरोप लोकाकाश देखिए द्रव्य (षट्क)
(+उपचार) (१) आकाशास्तिकाय | वर्तमानकाल-अनागतत्व आरोप देखिए आरोप लोकावधि ज्ञान देखिए ज्ञान
(+उपचार) (१) अवधिज्ञान | वर्तमानकाल-अनागतपर्याय आरोप देखिए लोकोत्तरतत्त्वप्राप्ति
२४८४
आरोप (+उपचार) लौकिकप्रवृत्ति व्यवहारनय देखिए नय (नवविध) | वर्तमानत्व लक्षण देखिए लक्षण
व्यवहारनय (देवचन्द्रजी-अन्यविध) | वर्तमाननैगम (सांप्रतनैगम) देखिए नय (नवविध) (ii) प्रवृत्ति व्यवहारनय
(३) नैगमनय लौकिक संकेत देखिए संकेत वर्तमानभाव नय देखिए नय (आपादन प्रकार) वक्तव्य द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (देवचंद्रजी- वर्धमानउपाध्यायमत समीक्षा देखिए समीक्षा