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• 'द्रव्य-1-पयायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२मश' व्यायाम वविता पहार्थोनी याही . 145 (५३) व्यंजना लक्षण ५८१-५८२] (१२) रूढ लक्षणा
१९९६ (५४) व्यतिकर लक्षण
३६४ (१३) प्रयोजनवती लक्षणा १९९४-९६ (५५) व्यतिरेकित्व लक्षण १२१६-१८ (१४) शुद्ध लक्षणा
१९८८,१९९१ (५६) व्यवहारनय लक्षण ७६८-६९ लक्षणा (नैयायिक) देखिए वृत्ति (नैयायिकसम्मत) (५७) व्यवहारनय लक्षण (अष्टविध) | लक्षणा (वैयाकरण) देखिए वृत्ति (वैयाकरणसम्मत)
१०८१-१०९२ | लक्षणानिमित्त देखिए उपचारनिमित्त (५८) शब्दनय लक्षण ७९०,७९३,७९५ | लक्षणा प्रकार (आलङ्कारिकसम्मत) ५८० (५९) संकर लक्षण
३६४ | लक्षणा प्रकार (वैयाकरणसम्मत) ५८० (६०) सङ्ग्रहनय लक्षण ७५५-५६ लक्षणा प्रयोजन
७२२-७२४ (६१) सप्तभंगी लक्षण
५३० लक्षणामूलक शाब्दीव्यंजना देखिए वृत्ति (६२) समभिरूढनय लक्षण ७९७,७९९
(आलंकारिक सम्मत) (३) व्यंजनाशक्ति (६३) समापत्ति लक्षण २३७७-२३८६
(i) शाब्दी व्यंजना (६४) सम्यक्त्व लक्षण १३९६,१९५३ | लक्षणा लक्षण देखिए लक्षण (६५) सुनय लक्षण
६०८-६०९ / लक्षणा वृत्ति देखिए वृत्ति (मीमांसासम्मत) (६६) स्याद्वादलक्षण (भजना) १११३,११२६ लक्षणाशक्ति देखिए वृत्ति (आलंकारिकसम्मत) (६७) स्वभाव लक्षण १७०१-१७०६, लक्षणा हेतु
५७२,१९८५ १७११ लक्ष्यार्थ
देखिए अर्थ (दार्शनिक) लक्षणा (सामान्यतः)
५६९ लब्धि (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) (१) अजहद् लक्षणा १९८६ (१) अन्यविधकाल लब्धि
२५११ (२) गौणी लक्षणा १९१८-१९२१, (२) करण लब्धि (उपशमलब्धि + १९९०-१९९४ उत्कृष्टयोगलब्धि)
२५२९-३० (३) जहद् लक्षणा ६१३,७२३ (३) क्षयोपशम लब्धि
२५२५ (४) निरूढ लक्षणा १४८६-१४८७,१५७५,
(४) देशनाश्रवण लब्धि २५२६-२७ १५९६-१५९९,१९९५-१९९७
(५) प्रयोग लब्धि (प्रायोग्य लब्धि) २५२७ (५) विरुद्ध लक्षणा
६१३ (६) प्रशस्त लब्धि (विशुद्धि लब्धि) २५२६ (६) साध्यवसाना लक्षणा ९११,१९८८-१९९७ (७) प्राथमिककाल लब्धि
२५११ (७) सारोपा लक्षणा ९११,१९१८,
(८) भाव लब्धि
२५१२ १९८८-१९९७ / लब्धि (योगफल) (८) प्रयोजनसापेक्ष लक्षणा १९९४
(१) आमभॊषधि लब्धि
२४५७
२४५७ (९) प्रयोजननिरपेक्ष लक्षणा
(२) कफौषधि लब्धि
१९९४ (१०) यादृच्छिकी लक्षणा
(३) मलौषधि लब्धि
२४५७ १९९६
२४५७ (११) केवल लक्षणा
१९९५-९६
(४) मूत्रौषधि लब्धि