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144 . 'द्रव्य-ए-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोग५२रामर्श' व्यायाम पविला पार्थोनी याही . (३३) नित्यत्व लक्षण १७३३-३६ (XII) वैद्यकशास्त्रसम्मत
१९५१ (३४) निश्चयनय लक्षण (अष्टविध) १०७४- (XIII) वैशेषिकसम्मत
१९४६ १०७९,१०८८-१०९१ (XIV) शुद्धाद्वैतवादिसम्मत १९५१ (३५) नैगमनय लक्षण ७१४-१६ (xv) शैवसम्मत
१९५१ (३६) परिणाम लक्षण
(XVI) श्वेताम्बरसम्मत १९४२-४४ (1) द्रव्यार्थिकनयसम्मत १३५०,१३५१,
(XVII) साङ्ख्यसम्मत
१९५० १९९९ (XVIII) स्मृतिसम्मत
१९५१ (II) पर्यायार्थिकनयसम्मत १३५२,१३५३
(४०) प्रस्थक लक्षण
१०५-५२ (I) श्वेताम्बरसम्मत १३५५-५६
(४१) बहिरंग लक्षण
१७०६ (IV) दिगम्बरसम्मत
१३५६ (४२) मनस्कारलक्षण
११७४ (V) पतंजलिसम्मत
१३५६ (४३) मूढता लक्षण
२५७३ (VI) सांख्यसम्मत
१३५७ (४४) यथाप्रवृत्तिकरण लक्षण
२४२४ (३७) पर्याय लक्षण
(४५) लक्षणा लक्षण १९८३-१९८४,१९९३ (I) दिगम्बरसम्मत पर्यायलक्षण ११५-११७,
(४६) लब्धि लक्षण ११९-१२०,१६५८
(1) उत्कृष्टयोगलब्धि लक्षण २५२९ (II) यापनीयसम्मत पर्यायलक्षण ११७
(II) उपशमलब्धि लक्षण
२५२९ (III) श्वेताम्बरसम्मत पर्यायलक्षण ११२-११५,
(III) करणलब्धि लक्षण २५२९,२५३० ११८-११९,१७५-१७८,२३६,
(IV) क्षयोपशमलब्धि लक्षण २५२५ १६५८-१६५९,२१८४-२१९०
(V) देशनाश्रवणलब्धि लक्षण २५२६ (३८) पर्यायार्थिकनय लक्षण
६७८
(VI) प्रयोगलब्धि लक्षण २५२७ (३९) प्रमाण लक्षण
५३३,१६६४
(VII) प्रशस्तलब्धि लक्षण २५२४ (1) अवशिष्ट
१९५२,२०५२
(VIII) भावलब्धि लक्षण २५१२ (II) दिगम्बरसम्मत
१९४४-४६
(Ix) विशुद्धिलब्धि लक्षण २५२५ (III) द्वैतवेदांतसम्मत
१९५२ (४७) वचनानुष्ठान लक्षण
२३८३ (IV) नव्यनैयायिकसम्मत १९४७
(४८) वर्तमानत्व लक्षण
१२४१ (V) पातञ्जलसम्मत १९५०-५१
(४९) वसति लक्षण
१००६ (VI) पौष्करसम्मत
१९५१
(५०) विभाव लक्षण १७०१-१७०६ (VII) प्राचीननैयायिकसम्मत १९४६-४८
(५१) विरति लक्षण
२४५९ (VIII) बौद्धसम्मत
१९४९-५०
(५२) वैराग्य लक्षण १७०१-१७०६ (IX) मीमांसकसम्मत १९४८-४९
(1) दुःखगर्भ वैराग्य लक्षण २४८२ (x) विशिष्टाद्वैतवादिसम्मत १९५१
(II) मोहगर्भ वैराग्य लक्षण २४८२ (XI) वेदांतिसम्मत (अद्वैत) १९५१
(III) पर वैराग्य लक्षण
२५६४