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________________ 100 • ‘द्रव्य-गुएा-पर्यायनो रास' तथा 'द्रव्यानुयोगपरामर्श' व्यायामां वएर्शवेला पहार्थोनी याही • अन्वयबोध २२७१-२२७८ २२५-२३०,५२०, १२४२- अप्रतिपाती गुण अप्रसिद्धशक्ति १२४४,१९२० (१) एकदेश अन्वयबोध अन्वय व्यभिचार देखिए दोष (दूषण) अन्वयित्व लक्षण अपकारी क्षमा अपकृष्ट गुरुत्व अपभ्रंश भाषा अपरम स्वभाव अपर वैराग्य अपरसंग्रहनय अपरिणामी अपरोक्ष स्वानुभव उपाय अपवर्ग अपवाद नय अपाय देखिए देखिए देखिए देखिए देखिए देखिए देखिए अपायशक्तिमालिन्य अपुनर्बंधक अनर्बंध अनर्बंध अपूर्वकरण देखिए अपसिद्धांत अपान्तरालसामान्यग्राहक नैगम पूर्वकरण लक्षण अपृथग्भाव संबंध अपेक्षा कारण अप्रज्ञाप्य देखिए देखिए २०६, २२६, १२४६, १२४८ अबंध आत्मा (५४) व्यभिचार लक्षण क्षमा गुरुत्व भाषा स्वभाव (२) सामान्य स्वभाव वैराग्य नय ( नवविध ) (आपादन प्रकार ) दोष (दूषण) देखिए नय ( नवविध) नैगम (शीलाङ्काचार्यसम्मत) देखिए उपयोग (चैतन्य) मोक्ष नय (४) संग्रहनय २३६७ २३९९ २४३३ २४०४,२४०७, २४८९ देखिए गुण (आध्यात्मिक) देखिए दशा देखिए करण देखिए लक्षण देखिए संबंध देखिए कारण २४९१ अभव्य स्वभाव अभाव (I) ध्वंस (II) अत्यंताभाव (१) अन्योन्याभाव (२) भावांतरस्वरूप अभाव (३) संसर्गअभाव देखिए वृत्ति (वैयाकरणसम्मत) (२) शक्ति अभिधा वृत्ति अभिधा शक्ति अभिनिवेश अभिभव अभिव्यक्ति देखिए देखिए (III) प्रागभाव अभिधामूलक शाब्दीव्यंजना १२४९,१२५३,१२५५ देखिए वृत्ति ( आलंकारिकसम्मत) (३) व्यंजनाशक्ति अभेद उपचार | अभेदउपासना ( नवधा ) अभेदवाद अभेदवृत्ति प्राधान्य अभेद संबंध अभेद स्वभाव | अभोक्तृ नय अभ्यंतर तप देखिए (II) शाब्दी व्यंजना वृत्ति ( मीमांसासम्मत) वृत्ति (आलंकारिकसम्मत) देखिए दोष ( रत्नत्रयसंबंधी) २०४८ - २०५१ देखिए आत्मा स्वभाव (२) सामान्य स्वभाव १६८२ १६८१ १६८२ १२४१,१२४३ - १२५० १६७७ देखिए व्यक्ति देखिए ५३४-५३५,५३८-५४० देखिए देखिए देखिए देखिए २५५६-५८ वाद ५३४, ५३७-५३९ संबंध स्वभाव (२) सामान्य स्वभाव नय (आपादन प्रकार ) तप
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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