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________________ • 'द्रव्य-४-५यायनो २।स' तथा 'द्रव्यानुयो५२मश' व्यायामi gfan पर्थोनी याही . 99 (५) असंग अनुष्ठान २३७६, २३७९, | (११) प्रमाण-अप्रमाण अनेकांत ४०८-४११ २४५९, २४६१-६२, २४६८-६९, (१२) प्रमेयत्व-अप्रमेयत्वादि अनेकान्त २५६६ १२१४-१६, १६६१ (६) उचित अनुष्ठान २५६२ (१३) भव्य-अभव्य अनेकांत १८२१-१८३२ (७) गर अनुष्ठान २४७९ (१४) भेदाभेद अनेकांत ३९३-४०४, (८) तद्धेतु अनुष्ठान २४०६ ४२६, ४२९-४५६, (९) प्रीति अनुष्ठान २४०१, २४११-१२ ४७५-४९०, १८०५-१८२० (१०) भक्ति अनुष्ठान २४२० (१५) शुद्ध-अशुद्धपर्यायसमावेश (११) वचन अनुष्ठान २३७६-७७, अनेकांत २२०१ २३८३, २३९१, २४४० (१६) सम्यगएकांत अनेकांत ४२६ (१२) विष अनुष्ठान २४७९ (१७) सर्व-असर्वात्मक अनेकांत ४०८ (१३) शुद्ध अनुष्ठान २४३३ (१८) सर्वज्ञ-असर्वज्ञ अनेकांत ४११-४१७ (१४) समाधिनिष्ठ अनुष्ठान २४६८ (१९) सर्वनयमय अनेकांत १२६७ अनेकत्वशक्ति देखिए शक्ति (अर्थगत) (२०) सावच्छिन्न-निरवच्छिन्न अनेकांत ४२५ अनेकप्रदेश स्वभाव देखिए स्वभाव (२१) स्वरूप-पररूप अनेकांत ४११ (१) विशेष स्वभाव | अनेकान्तवादिमत समीक्षा (पूर्वपक्ष) देखिए समीक्षा अनेक स्वभाव देखिए स्वभाव अनैकांतिक देखिए दोष (दूषण) (२) सामान्य स्वभाव अनेकान्त (+ देखिए स्याद्वाद + भजना) अन्तर्मुखउपयोग देखिए उपयोग (चैतन्य) (१) अक्रम अनेकान्त (= सह अनेकान्त) अन्यथासिद्ध १४४९ १४०, २३३, ४०६ अन्यमुद् देखिए दोष (आध्यात्मिक) (२) अनेकान्ते अनेकांत ४१९-४२५ | अन्यविध काललब्धि देखिए लब्धि (३) अस्ति-नास्ति अनेकांत ४६७-६८, (ग्रन्थिभेद कारणीभूत) ४७१, १७१५-१७३० | अन्योन्य अनुगम २०३५-२०४४ (४) एक-अनेकस्वभाव अनेकांत ४०७, | अन्योन्याभाव देखिए अभाव ११२०, ११६७, १७८९-१८०४ | अन्योन्याश्रय देखिए दोष (दूषण) (५) कर्मबंध-अबंध अनेकांत . . ---३४-३७ अन्वय (अर्थगत) (६) कल्प्याऽकल्प्य अनेकांत ३५-४० (१) कालान्वय १९७६-१९७७ (७) कृतत्व-अकृतत्व अनेकांत १२५१ (२) देशान्वय १२४६, १९७६-१९७७ (८) क्रम अनेकान्त १४०, २३३, ४०६ अन्वय द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (देवचंद्रजी(९) गति-अगति अनेकांत ४०९, ४१० सम्मत) (१) द्रव्यार्थिकनय (१०) नित्याऽनित्य अनेकांत ७०९, ११११- | अन्वय द्रव्यार्थिकनय देखिए नय (नवविध) ११२०, ११२७, १७३१-१७८७ | (१) द्रव्यार्थिकनय
SR No.022378
Book TitleDravya Gun Paryayno Ras Dravyanuyog Paramarsh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherShreyaskar Andheri Gujarati Jain Sangh
Publication Year2013
Total Pages432
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size74 MB
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