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________________ ॥ दंडकेषु आयुरिवर्णनम् ॥ (१०७) गरोपम, व्यन्तरनु १ पल्योपम, अने ज्योतिषीनुं ( उ० आयुष्य ) १ लाख वर्ष अधिक १ पल्योपम छे, विस्तरार्थ:-तिदिणग्गि-अग्निकायना एक जीवन उ स्कृष्ट आयुष्य३दिवसतुं छे,अने तिपल्लाउ नरतिरि-मनुष्यनु आ युष्य ३ पल्योपमनु कह्यं ते देवकुरु उत्तरकुरुनां युगलिक मनुष्योनु सदाकाळ अने भरत-औरवत क्षेत्रमा अवसर्पिणी काळे १ ला आराना अने उत्सपिणि काळे छट्ठा आराना मनुष्योनुजाणवू,पुनः ए युगलिकोनु जघ० आयुष्य पल्योपमनो असंख्यातमो भाग न्यून ३ पल्योपम छे ( एम प्रश्नोत्तर सार्धशतकमां कहयुं छे.) क्रोडपू. वथी अधिक आयुष्यवाळा युगलिक मनुष्यो होय छे, अने तेओ असंख्य वर्षना आयुष्यवाळा गणाय छे,ने क्रोडपूर्व सुधीना आयुष्य वाळा ते संख्यात आयुष्यवाळा गणाय एवो शास्त्रव्यवहार छे. वळी अपर्याप्ता युग० मनुष्योनु जघ० आयुष्य अन्तर्मु० मात्रजछे. तथा जे प्रमाणे मनुष्यनु उत्कृष्ट आयुष्य युग० मनु० आश्रयि कह्यु ते प्रमाणे ग० तिर्यंचनु उ० आयुष्य पण युग० तियेच सिंहादिकनी अपेक्षाए जाणवु शेष सर्व वक्तव्य मनुष्यवत् विचारवं. सुरनिरयसागरतित्तीसा-वैमानिक देव अने नारकर्नु आयुष्य उत्कृष्टथी ३३ सागरोपम छे, ते सातमी नरफना नारक अने अनुत्तर देवोने आश्रयि कहयु, अने शेष सौधर्मादिकल्पमा आगळ यन्त्रमा कहयु छे, ते प्रमाणे जाणवू. वन्तरपल्लं-व्यन्तरनु १ पल्योपम आयुष्य छे, ते जोइस परिसलक्खाहियं पलियं-ज्योतिषी देवनु ला. ख वर्ष अधिक १ पल्योपमः उत्कृष्ट आयुष्य छे, अहिं देवोमां सर्व इन्द्रोन, अने देवीयोमां सर्व इन्द्राणीयोनु
SR No.022358
Book TitleDandak Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajasarmuni, Vijayodaysuri
PublisherGranth Prakashak Sabha
Publication Year1925
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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