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१०० लोकना नीकल्या पृथिवी, पाणी अने वनस्पति, एत्रण पर्याप्ता तथा तिर्यच पंचेंजियना पांच नेद अने पंदर कर्मनुमि मनुष्यना पंदर नेद, एवं त्रेवीश नेदभां जाय, ते एनी गति जाणवी,
त्रीजा सनत्कुमारथी मांझीने आठमा सहस्रार पर्यंत उ देवलोकना नीकल्या जीव, ते पांच नेदवाला पंचेंद्रिय तिर्यच अने पंदर कर्मचूमिनां मनुष्य मली वीश नेदमां जाय.
तथा नवमा बानत देवलोकथी मामीने बारमा अच्युत पर्यंतना चार देवलोक अने नव ग्रैवेयक तथा पांच अनुत्तर विमान, ए सर्व मली अढार देवलो. कना नीकल्या जीव, ते पंदर कर्मचुमिना मनुष्यना पंदर नेदमा जाय. ए वैमानिक देवोनी गति कही.
हवे ए वैमानिक देवोनी आगति कहे . तेमां प्रथम सौधर्म देवलोकमां पंदर कर्मनुमिना मनुष्य अने त्रीश अकर्मनमिना मनुष्य तथा पांच गर्नज तिर्यच मली पचास नेदना जीव आवे.