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________________ १०७ यावे, तेमां पंदर कर्मजुमिना मनुष्य तथा पांच गर्नज तिर्यच अने पांच संमूर्डिम तिर्यच मली पचीश नेदनी आगति जाणवी, अने ए बप्पन अंतरछीपमांथी नीकलीने देवोना एकावन नेदमां जाय, तेनां नाम कहे . पंदर परमाधामी, दश जवनपति, सोल व्यंतर अने दश तिर्यगर्जेजक मली एकावन नेदने विषे एनी गति जाणवी. एवं बावीश दमके गति आगति कही.. हवे दश प्रकारना ज्योतिषी देवोना दमकने विषे पंदर कर्मनूमि, त्रीश अकर्मनुमि अने पांच प्रकारना गर्नज तिर्यच मली पचास नेदना जीवो डावी उपजे, ते एनी आगति जाणवी, अने ए ज्योतिषीमांधी नीकस्या जीव ते पंदर कर्मचूमिना मनुष्य अने पांच गर्नज तिर्यच तथा पृथिवी, पाणी अने वनस्पति मली त्रेवीश नेद पर्याप्ताना अने त्रेवीश नेद अपर्याप्ताना एवं बेतालीश भेदने विषे एभनी गति जाणवी. एवं त्रेवीश दमके गति अने आगति कही. ____ हवे चोवीशमा वैमानिक देवोना दमकने विषे गति आगति कहे . सौधर्म तथा शान ए बे देव.
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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