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तथा ए पचास नेदमांथी वली जंबूहिपर्नु एक हिमवंत क्षेत्र अने बीजं हिरण्यवंत क्षेत्र, तेमज घातकी खेमनां बे हिमवंत अने बे हिरण्यवंत तथा पु. कराईनां बे हिमवंत क्षेत्र अने बे हिरण्यवंत क्षेत्र मली दश युगलियाना क्षेत्रोना दश नेद अकर्मनूमि मनुष्यना वर्जिए, त्यारे शेष चालीश नेदना जीव ई. शान देवलोकमां आवे.
तथा त्रीजा सनत्कुमारथी मामीने आठमा सहस्रार देवलोक पर्यतना ब देवलोकमां पंदर कर्मचूमिना मनुप्यना अने पांच गर्भज तिर्यचना मली वीश नेदना जीव आवे. ___ तथा नवमा धानत देवलोकथी मामीने पांच अनुत्तरविमान पर्यंतना अढार देवलोकमां पंदर कर्मनूमि क्षेत्रना मनुष्य आवे. ए वैमानिक देवोना दमकने विषे गति आगति कही. ए बावीसमुं तथा त्रेवी. शमुं हार का ॥
हवे चोवीशमुं वेदद्वार कहे छे. वेयतिय तिरिनरेसु, इची पुरिसो अ