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________________ १०० ७ सातमा नरकने विषे पंदर कर्म मिना मनुष्य अने जलचर भली सोल नेदना जीव आवी उपजे, ते आगति जाणवी, अने सातमा नरकथी नीकलेला जीव ते जलचर, स्थलचर, खेचर, उरःपरिसर्प अने जुजपपरिसर्प, ए पांच जातिना गर्नच तिर्यमचा (पर्याप्ता अने अपर्याप्ता मली दश नेद समजवा.) आवी उपजे, ते गति जाणवी. ए सात नरकनी आगति अने गति कही. ___ हवे देवोनी गति अने आगति कहे . तेमा प्रथम दश जातिना जवनपति, सोल जातिना व्यंतर, पंदर जातिना एरमाधामी अने दश प्रकारना तिर्यगू. जूंनक, ए एकावन जातिना देवोने विषे एकसो अगी. यार जातिना जीवो ओवी उपजे, तेमां (१०१ ) नेदवाला तो मनुष्य अने पांच गर्लज तिर्यंच जाणवा. तथा पांच संमूर्बिम तिर्यच मली (१११) नेदनी आ. गति जाणवी. तथा एज एकावन जातिना देवोमांथी नीकलेला जीव तालीश नेदमां जाय, तेनां नाम कहे डे. तेमां पंदर कर्मजूमिना मनुष्य अने पांच जातिना
SR No.022340
Book TitleDandak Tatha Laghu Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages174
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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