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एए नेदना जीव आवी उपजे, ते श्रागति जाणवी, अने चोथा नरकथी नीकलेला जीव पंदर कर्मचूमिना मनुष्य अने पांच जातिना गर्भज तिर्यच मली वीश पर्याप्ता अने वीश अपर्याप्ता एवं चालीश नेदना जीवोमां आवी उपजे, ते चोथा नरकना जीवोनी गति जाणवी.
५ पांचमा नरकने विषे पंदर कर्मचूमिना मनुष्य तथा जलचर अने उर परिसर्प मली सत्तर नेदना जीव यावे, ते धागति जाणवी, अने ए पांचमा नरकथी नीकलेला जीव पंदर कर्मनूमिना मनुष्य अने पांच जातिना गर्भज तिर्यच एवं वीश पर्याप्ता अने वीश अपर्याप्ता मली चालीश ,जेदना जीवोमां श्रावी उपजे, ते पांचमा नरकना जीवौनी गति जाणवी.
६ हा नरकने विषे पंदर कर्मचूमिना मनुष्य अने जलचर मली सोल नेदवाला जीव आवी उपजे, ते सागति जाणवी, अने बहा नरकथी नीकलेला जीव पंदर कर्मनूमिना मनुष्य अने पांच गर्जज तिर्यच म. ली वीश पर्याप्ता अने वीश अपर्याप्ता एवं चालीश नेदना जीवोमा आवी उपजे, ते बही नरकना जीवोनी गति जाणवी.