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ए मनुष्य अने पांच गर्नज तिर्यच मली वीश पर्याता अने वीश अपर्याप्ता एवं चालीश नेदमा श्रावी अवतरे, ते गति जाणवी..
बीजा नरके पंदर कर्मचूमिना मनुष्य अने पांच गर्नज तिर्यच मली वीश नेदना जीव आवे, ते आगति जाणवी, अने ए बीजा नरकथी नीकलेला जीव एज पूर्वोक्त वीश पर्याप्ता अने वीश अपर्याता मली चालीश नेदना जीवोमां आवी उपजे, ते गति जाणवी.
३ त्रीजा नरकने विष पंदर कर्मचूमना मनुष्य तथा जलचर, स्थलचर, खेचर अने उरःपरिसर्प, ए उगणीश नेदना जीव श्रावी उपजे, ते आगति जाणवी, अने त्रीजा नरकथी नीकलेला जीव पंदर कर्मनूमिना मनुष्य तथा पांच गर्भज तिर्यच मली वीश पर्याप्ता तथा वीश अपर्याप्ता एवं चालीश नेदना जीवोमां आवी उपजे, ते गति जाणवी. .
__४ चोथा नरकने विषे पंदर कर्मऋमिना मनुष्य तथा जलचर, स्थलचर अने उरःपरिसर्प, ए अढार