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लोकप्रकाश का समीक्षात्मक अध्ययन ७१. (क) लोकप्रकाश, 6.149 से 156 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सूत्र 35, 36 ७२. लोकप्रकाश, 6.164 ७३. (क) लोकप्रकाश, 6.157 से 163 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सूत्र 38, 39, 40 ७४. "असण्णी खलु पढमं दोच्चं च सरीसवा तइय पक्खी।
सीहा जंति चउत्थं उरगा पुण पंचमिं पुढविं।।1।। . छठिं च इत्थियाउ, मच्छा मणुया य सत्तमि पुढविं। एसो परमोववाओ बोद्धव्वो नरयपुढविसु ।।2।।
-उद्धृत, जीवाजीवाभिगम सूत्र, आगम समिति ब्यावर, पृष्ठ 80 ७५. लोकप्रकाश, 6.157 से 159 ७६. लोकप्रकाश, 6.165 से 166 ७७. लोकप्रकाश, 7.11 और 12 ७८. (क) लोकप्रकाश, 7.57 से 83 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सत्र 41 ७६. लोकप्रकाश, 7.84 से 92 १०. (क) लोकप्रकाश 8.78 से 82 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सूत्र 42 ११. (क) लोकप्रकाश, 9.11 और 12 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सूत्र 32 ८२. लोकप्रकाश, 3.282 ८३. लोकप्रकाश, 3.283
लोकप्रकाश, 5.307 और 308 ८५. लोकप्रकाश, 5.309 ८६. लोकप्रकाश, 5.310
लोकप्रकाश, 6.34 लोकप्रकाश, 6.35
लोकप्रकाश, 6.169 ६०. लोकप्रकाश, 7.93-94 ६१. लोकप्रकाश, 7.104-105 ६२. लोकप्रकाश, 8.83 ६३. लोकप्रकाश, 8.84 ६४. लोकप्रकाश, 8.85-86 ६५. भगवती सूत्र, 1.1 प्र. 53 की टीका ६६. 'श्लेषयन्त्यात्मानमष्टविधेन कर्मणा इति लेश्याः' -आवश्यक सूत्र, हरिभद्र टीका, पृष्ठ 645 ६७. कृष्णादिद्रव्यसाचिव्यात् परिणामो य आत्मनः ।
स्फटिकस्येव तत्रायं, लेश्या शब्दः प्रवर्तते।।-प्रज्ञापना सूत्र मलयगिरि वृत्ति, पद 17. उद्देशक 4 ६५. स्थानांग सूत्र, सुधा टीका, भाग 3. पृष्ठ सं. 35 ६६. भगवती सूत्र, प्रथम खण्ड, प्रथम शतक की वृत्ति से १००. आचारांगसूत्र, अध्ययन 1, उद्देशक 6 की वृत्ति से १०१. षट्खण्डागम, धवला पुस्तक 1,1-1-4
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