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________________ जीव-विवेचन (2) 161 ४५. (अ) लोकप्रकाश, 3.273 (आ) प्रमेयबोधिनी टीका, भाग 5, (इ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2093 से 2096 (ई) अभिधान राजेन्द्र कोष, भाग 7 ४६. लोकप्रकाश, 9.11 ४७. लोकप्रकाश, 8.78 'आद्याः पंच समुद्घाताः' ४८. (अ) लोकप्रकाश, 5.292 और 4.100 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2091 ४६. (अ) लोकप्रकाश, 6.148 'आद्यास्त्रयः समुद्घाताः संमूर्छिम शरीरिणाम् ५०. (अ) लोकप्रकाश, 6.148 'गर्भजानां तु पंचैते कैवल्याहारको विना' (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2092 ५१. (अ) लोकप्रकाश, 7.56 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद ‘णवरं मणूसाणं सत्तविहे समुग्घाए पण्णत्ते। ५२. (अ) लोकप्रकाश, 6.28 (आ) प्रज्ञापना सूत्र, 36वां समुद्घात पद सूत्र 2091 __'गइकम्मविणिवत्ता जा चेट्ठा सा गई मुणेयव्वा।। जीघा हु चाउरंग गच्छंति हु सा गई होई।। -पंचसंग्रह प्राकृत अधिकार, 1.59 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग 2, पृष्ठ सं. 236 ५४. षट्खण्डागम धवला टीका, 1,1,4 पृष्ठ 134 व 135 ५५. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 9.7.11 ५६. (क) षट्खण्डागम धवला पुस्तक, 1.1.1/24वां सूत्र (ख) सर्वार्थसिद्धि. 2.6 ५७. स्थानांग सूत्र, पंचम स्थान, तृतीय उद्देशक- “पंच गतीओ पण्णत्ताओ तंजहा- णिरयगती, तिरियगती, मणुयगती, देवगती, सिद्धिगती।" ५८. स्थानांग सूत्र, 10वां स्थान, 18वां सूत्र- "दसविधा गती पण्णत्ता, तंजहा- णिरयगती, णिरयविग्गहगती, तिरियगती, तिरियविग्गहगती, मणुयगती, मणुयविग्गहगती, देवगती, देवतिग्गहगती, सिद्धिगती, सिद्धविग्गहगती।" ५६. स्थानांग सूत्र, षट् स्थान, सूत्र 8 ६०. स्थानांग सूत्र, सप्तम स्थान, सूत्र 3 ६१. स्थानांग सूत्र, अष्टम स्थान, सूत्र 2 ६२. स्थानांग सूत्र, नवम स्थान, सूत्र 7 ६३. लोकप्रकाश, 3.280 और 281 ६४. (क) लोकप्रकाश, 4.101 से 103 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति पृथ्वीकाय वर्णन, सूत्र 22 और 23 ६५. (क) लोकप्रकाश, 4.105 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, पृथ्वीकाय वर्णन सूत्र 13 ६६. (क) लोकप्रकाश, 4.106 (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, पृथ्वीकाय वर्णन, सूत्र 13, 16, 19, 24 और 26 ६७. लोकप्रकाश, 5.293 से 295 तक ६८. लोकप्रकाश, 5.296 से 298 तक ६६. जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, पृथ्वीकायादि वर्णन, सूत्र 14, 17, 20, 25, 27 ७०. (क) लोकप्रकाश,6.29 से 33 तक (ख) जीवाजीवाभिगम सूत्र, प्रथम प्रतिपत्ति, सूत्र 28,29 और 30
SR No.022332
Book TitleLokprakash Ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemlata Jain
PublisherL D Institute of Indology
Publication Year2014
Total Pages422
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size36 MB
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