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________________ उत्सर्पिणी काल १० को.को. सागर आरो का कालचक्र अवसर्पिणी काल १० को.को. सागर. २. क्षेत्र पुद्गल परात १.व्य पुदगल परावत १ला आरा ४कोडा कोडी सागरोपम सुषम सुषम १.रानिक ६ आरा फ्सलियों मलयाला ४कोडा कोडी सागरोपम सुषम सुषम CARO POON कार MBEFFDF ॐ ARFIFBBEFORPB - - फफायर 8 SAEXIXEHARSINEER ३राआरा १को.को. सागर ४२००० वर्ष न्युन Herepr 0000 पसमिया १को, को. सागर "था आरा बल दुःपम सुपम २१००० वर्ष दुःषम २रा आरा २१000 वर्ष दुःपम दु:खत्म १ला आरा २१००० वर्ष दुःषम ५टाआरा २१००० वर्ष दुःम्म दुःयम ६8 आरा -भावपुद्गल परावर्त १.बाबर:सनिक रसांच सर्वअध्यक्तायस्थानको २.सूनानिक रसबंधके सर्वजण्यवसायों को मरण से स्पतालमान - चित्र : छह आरों का विवेचन श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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